2 नवंबर, भोपाल। सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में इरोम शर्मिला ने दस साल पहले आज ही के दिन मणिपुर में आमरण अनशन शुरू किया था। उन्हें सरकार ने घर में ही नजरबन्द कर दिया था और जबरन नाक के रास्ते खाना खिलाया था। वह सैन्य बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 की वापसी की मांग कर रही हैं। दरअसल मणिपुर में भारत सरकार का सैन्यबल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 कानून वहां पर महिलाओं और आम नागरिकों पर खुली छूट देता है। पिछले एक दशक में मणिपुर में फर्जी इनकाउन्टर, महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़खानी और हत्याओं में लगातार वृद्धि हुयी है। इसके खिलाफ सैन्य मुख्यालय के समक्ष निर्वस्त्र प्रदर्शन और देश भर में विरोध के बावजूद सरकार की खामोशी और असंवेशीलता बरक़रार है। ऊपर से दूसरे राज्यों में ऐसे कानून बनायें जाने की कोशिशें जारी हैं।
इस मौके पर युवा संवाद और मध्य प्रदेश महिला मंच की ओर से इरोम शर्मिला ओर उनके साथियों के समर्थन में कैंडल लाइट विजिल का आयोजन ज्योति टॉकीज के पास किया गया। कार्यक्रम में लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने वाले सैन्यबल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 जैसे तमाम कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की। यहाँ इस बात का भी जिक्र किया गया कि नर्मदा घाटी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर कायरता का काम किया गया है। इस घटना के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे रामकुंवर और चित्रूपा पालित का समर्थन करते हुए दोनों संगठनों ने इस बात कि भर्त्सना की कि सरकार अपना जायज हक़ मँगाने वाले को ही देशद्रोही करार देने पर तुली हुयी है। इस आयोजन में बड़ी तादाद में लोगों ने मोमबत्ती जलाकर अपनी सहभागिता दर्ज की। कार्यक्रम में प्रगतिशील लेखक संघ, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, सन्दर्भ केन्द्र, जन पहल, बचपन, मध्य प्रदेश शिक्षा अभियान, नागरिक अधिकार मंच, पीपुल रिसर्च सोसाईटी और मुस्कान अदि संगठनों ने अपनी एकजुटता दिखाई।
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