बरेली। बरेली से भी जुड़े है भगत सिंह के तार। यह लाइन पढ़कर काफी लोग अचरज करेंगे, लेकिन यह सही है। चौंकिए मत, भगत सिंह कभी बरेली नहीं आए पर यहां कुछ ऐसी शख्सियतों ने समय बिताया है या वे आए हैं, जिनका स्वतंत्रता आंदोलन के इस कालजयी शख्सियत से सीधा संबंध रहा है। 28 सितंबर को शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह का जन्मदिन है। आज के दिन हमने शहर के कुछ बुद्धिजीवियों से बात की कि वे भगत सिंह को किस नजरिए से देखते हैं। साथ ही उन तारों को छूने का प्रयास किया, जो कहीं न कहीं बरेली से जुड़े हुए हैं।
चाचा अजीत सिंह ने की है पढ़ाई
बरेली को भगत सिंह से जोड़ते हुए लेखक और साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी ने कहा कि भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने यहां एक साल रहकर बरेली कालेज में कानून की पढ़ाई की है। भगत सिंह के चाचा अपने समय के बहुत बड़े क्रांतिकारी रहे हैं, लेकिन वे केवल एक साल ही यहां रह पाए थे। बाद में वे नेपाल चले गए।
साथी की हुई गिरफ्तारी
सुधीर विद्यार्थी इन तारों को जोड़ते हुए कहते हैं कि भगत सिंह के एक साथी विजय कुमार सिन्हा की गिरफ्तारी बरेली में ही हुई थी। साथ ही भगत सिंह की पार्टी नौजवान भारत सभा के सदस्य भगवती चरण वोहरा नाटककार उदय शंकर भट्ट के साथ बरेली में रहे थे। बाद में उन्होंने बम का दर्शन किताब लिखी, जो गांधीजी के लिखे गए कल्ट आफ बम पुस्तक का जवाब थी। उन्होंने कहा कि विजय कुमार सिन्हा ने भगत सिंह को जेल से छुड़ाने के लिए योजना बना ली थी, लेकिन उनका प्रयास असफल रहा और गलती से बम फट जाने से वे मारे गए।
क्लीनिक को किया भगत सिंह के नाम
श्री भगत सिंह नेत्र चिकित्सालय चलाने वाले डॉ. हरवंश सिंह ने भगत सिंह से प्रभावित होकर अपने क्लीनिक का नाम ही श्री भगत सिंह नेत्र चिकित्सालय रख दिया। इसके पीछे की कहानी बताते हुए डॉ. सिंह कहते है कि पटियाला मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने भी एक नौजवान सभा बनाई थी। फिर उसके बाद जब वे डाक्टर बन गए तो कुछ साथियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय दृष्टि विहीनता निवारण संस्था की एक मोबाइल यूनिट बनाई, जो गरीबों का इलाज किया करती थी। इसकी लोकप्रियता बढऩे पर किराए के मकान में अस्पताल शुरू किया। बाद में सिल्वर स्टेट के सामने जमीन खरीदकर अस्पताल का निर्माण कराया और उसको भगत सिंह को समर्पित किया।
भगत सिंह एक नजर में
सुधीर विद्यार्थी ने कहा कि भगत सिंह भारतीय उपमहाद्वीप के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने समाजवाद को विकास के लिए आवश्यक बताया। उनकी समाजवादी व्याख्या उनके जाने के बाद वहीं की वहीं ठहर गई, इसे युवाओं और राजनैतिक कर्मियों को आगे बढ़ाना चाहिए था। उनके सपनों का हिंदुस्तान नहीं बन सका।
वरिष्ठ पत्रकार धर्मपाल गुप्त शलभ ने कहा कि भगत सिंह युग प्रवर्तक क्रांतिकारी थे। उन्होंने जनवादी लोकतांत्रिक सरकार की कल्पना की थी, जो कल्पना ही रह गई। क्रांतिकारी आंदोलन में जनता की स्वतंत्रता को बल दिया था।
लेखिका जेबा लतीफ ने कहा कि भगत सिंह एक विचारधारा हैं, जो अमर हैं। उनके पास भारत की स्वतंत्रता और उसके बाद समाज के विकास की पूरी रूपरेखा थी, जिस पर आज तक अमल नहीं किया जा सका।
2 टिप्पणियां:
sach me aap bahut achha likhte ho.
युग प्रवर्तक क्रांतिकारी..kitna saccha shabd hai.
युग प्रवर्तक ko naman
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