बाकी सब ठीक है.
कोई दूर सा हो रहा है,
बाकी सब ठीक है.
जीवन में अँधेरा सा छा रहा है,
बाकी सब ठीक है.
अब नहीं सुनाई पड़ेगी
वो,
हंसी की खनक,
न ही
बात-बात पर
पड़ने वाली डांट
जो धीरे-धीरे दे रहे थे
मुझे नया जीवन,
मेरी कमियों को बताकर
उनको दूर भगाकर.
पर
समय की करवट से
रेत सा कुछ हाथ से
फिसल रहा है,
बाकी सब ठीक है.
कोई दूर सा हो रहा है,
बाकी सब ठीक है.
अब किस पर मढू
ये दोष,
समय पर या की खुद पर.
जो संभाल न सका
उन लम्हों को उन रिश्तों को.
शायद मेरी ही कमी से
कुछ छूट सा रहा है,
कोई दूर सा हो रहा है.
फिर, क्यों
मैं कह रहा हूँ
कि
बाकी सब ठीक है..
इस पोस्ट को लिखने और इसके पहले के पोस्ट के बीच समय का काफी अंतर है. काफी समय से मैं अपने ब्लॉग से दूर रहा. शायद नाराज था. इस बारे में ठीक से कुछ कह नहीं सकता हूँ. पर इस बार कुछ लिखने में काफी समय लग गया. अवसाद की बदली छा गयी थी जीवन में. कॉलेज लाइफ ख़त्म हो गयी. अब शायद जीवन शुरू हुआ है. जिम्मेदारियां शुरू हुयी हैं. थोड़ा दुःख है अभी भी की जो लड़कपन और अल्हड़पन था सब अब धीरे-धीरे छूट रहा है. घर से दूर मैंने एक घर बनाया था, रिश्तें बनाएं थे, दोस्त बनाएं थे, ऐसा लग रहा है कि सब मुझसे दूर हो रहे हैं. सेमेस्टर, एक्जैम, असाईनमेंट, सब ख़त्म हो गया है. इसी पर एक कविता लिखने को मजबूर होना पड़ा. हालाँकि, मैं इस कविता का लेखक नहीं होना चाहता था पर और क्या करता. जब सब दूर हो रहे होते हैं तो मेरी अलिखित कविताएं, जिनके बारे में मैं कभी सोचता नही हूं. दिमाग के सामने नाचने लगते है और मुझे फिर इन शब्दों का जाल बुनना पड़ता है. खैर, इस लंबे अंतराल के दौरान मैंने समय और जीवन के उतार-चदाव को समझने और आत्मसात करने का प्रयास किया है. सच पूछिए तो अब मुझे लगता है कि यही तो जीवन है जिसमे सब कुछ है सुख-दुःख, दूर-पास आदि. इसके साथ ही मैं जिन रिश्तों के छूटने के कारण दुखी हो रहा था वास्तव में वो रिश्तें, नाते और दोस्ती कही न कही और मजबूत हो रही थी. एक कभी न टूटने वाला संबंध बन रहे है. फिर दुःख कैसा? है ना, तो फिर मिलते है पर इस जल्दी मिलेंगे..
6 टिप्पणियां:
KHUBSOORAT .......ATISUNDAR
बहुत अच्छा लिखते हैं आप
कुछ छूट सा रहा है,
बाकी सब ठीक है.
bahut sunder
Behtareen..! Aapka link bhee kho baithi thee..shukr hai,aaj mil gaya..!
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Is blogpe aatank kee trasadee ke bareme charcha kee hai..
"gazab qaanoon" ke tahat..
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'बीती ताहि बिसार दे' - आशा है अब लेखन में निरंतरता बनी रहेगी.
jab kuchh chhoot raha hai to kahan kuchh thik hai..
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