सोमवार, 2 जून 2008

कर्ज माफ़ी से किसका फायदा

अपना चार साल का कार्यकाल पूरा होते-होते संप्रग सरकार को आखिर किसानों की याद आ ही गयी। आती भी क्यों नहीं अगले वर्ष आम चुनाव जो होने वाले हैं। इसी के कारण तों किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने फरवरी के आम बजट में किया। इसके तहत किसानों द्वारा लिए गए विभिन्न बैंकों के ६०,००० करोड़ रुपये का कर्ज माफ़ करने की घोषणा की गयी। इस कर्ज की राशि को अभी हाल में ही बढाकर ७१,६०० करोड़ रुपये कर दिया गया है। लेकिन इस कर्ज से छोटे और सीमांत किसानों को कोई फायदा पहुचता नहीं दिख रहा है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि सरकार ने केवल बैंकों से लिए गए कर्ज को माफ़ करने कि घोषणा की है। इससे निश्चित रूप कुछ किसानों को फायदा पहुचेगा, पर छोटे और सीमांत किसान फ़िर भी इस कर्ज माफ़ी की परिधि से बाहर है। वजह यह है कि इन किसानों का बैंक से कर्ज ले पाना बहुत ही मुश्किल होता है। बैंक से कर्ज लेने में वे ही किसान सफल हो पाते है जिनकी बैंक में अच्छी पकड़ होती है और जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। रंगराजन कमेटी और अन्य रिपोर्टों के अनुसार केवल २७ प्रतिशत किसान ही वित्तीय संस्थाओं से कर्ज ले पाते है। ऐसे किसानों की संख्या अत्यन्त कम है जो बैंक से कर्ज लेते है। ऐसे किसान कर्ज के लिए महाजनों पर निर्भर होते है, जो अपने कर्ज की वसूली उनका खून चूसते हुए तब तक करते है जब तक वे आत्महत्या करने पर मजबूर नहीं हो जाते है। संप्रग सरकार की कर्ज माफ़ी की घोषणा चुनावी शिगूफा भर ही है।

1 टिप्पणी:

Gangadhar Mute ने कहा…

किसिभी किसान का फ़ायदा नही हुवा. ना बडे किसानोका ना छोटे किसानोका.
जो डुबनेवाली रक्कम थी, वह रक्कम वसूल होकर केवल बॅंकोंको फ़ायदा पहूचा.
किसान वही का वही है.

गंगाधर मुटे
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