शनिवार, 3 अप्रैल 2010


ये आंखें क्या कहतीं,
कुछ समझ नहीं आता..

ये आंखें क्या सोचतीं,
कुछ समझ नहीं आटा..

ये आंखें क्या कहतीं
कुछ समझ नहीं आता..

बस इनमें डूब जाऊ,
ये समझ आता..

2 टिप्‍पणियां:

Shekhar Kumawat ने कहा…

wow bahut achi rachna he ye


shekhar kumawat


http://kavyawani.blogspot.com/

kshama ने कहा…

Saral,sahaj rachana!