फिर एक धमाका और फिर वही चीख-चीत्कार फिर वही जगह। सब कुछ अब निश्चित होता चला जा रहा है। आतंकियों ने सब कुछ निश्चित कर दिया है कि बम धमाके भी होंगे, लोगों की जान भी जाएगी. जगह भी निश्चित है. कभी दिल्ली, कभी मुंबई, कभी बंगलुरु और कभी असम. गर कुछ अनिश्चित है तो इन्हें रोकने के लिए किसी तरह की कोई कार्यवाही. ऐसी कार्यवाही जिससे आतंकियों को रोका जा सके. न जाने ये निश्चितता और अनिश्चितता का खेल लोगों के जीवन से खेलना कब बंद करेगा. कब आएगी वह सुबह, जिसमे हम खुली हवा में बिना डरे साँस ले सकेंगे. आगे और कुछ लिख नहीं पाउँगा इस समय नौकरी की वजह से समय ही नहीं मिल पाता की कुछ सोच सकूँ और फिर लिख सकूँ. इस समय भी लिखने की इच्छा नहीं है. पर क्या करूँ धमाके होते है तो दिमाग ख़राब होता है. जो इसे रोकने के लिए सक्षम हैं उन पर गुस्सा आता है. इस वजह से जो मन की भड़ास होती है उसे निकल रहा हूँ. खैर अभी थोड़ी देर में नौकरी के लिए जाना है इस कारण से ज्यादा कुछ नहीं लिख रहा हूँ. एक कविता है, जो शायद मेरी बातों और आगे आप तक पंहुचा सके..
निश्चित और अनिश्चित
रात
आती है
चुपचाप
और फ़िर
चली जाती है
चुपचाप
निश्चित
होता है उसका
आना
और फ़िर
चले जाना
चुपचाप
ठीक ऐसे ही
सुबह
होती है
चुपचाप
और फ़िर
ढल जाती है
चुपचाप
निश्चित
होता है
इसका भी
आना
और फ़िर
ढल जाना
चुपचाप
पर आज
अनिश्चित
है कि
रात
के बाद
कौन सी
सुबह
होगी सुहानी
और कौन सी
सुबह लाएगी
अपने साथ
दुःख, करुणा, व्यथा,
चीख-चित्कार
और
आतंक की आहट
9 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लिखा है।बधाई।
aapka blog bahot gyanvardhak hai..
aisi rochak jaankariyan or samajik chintan sameta hai aapne jo aaj samaj ko disha dene mein sahayak hi nahii jaroori hai.
bandhai ek acchi sarthak kavita ke liye
Mai bhee pehli baar aayi hun aapke blogpe...bohot khushee huee aapne jo likha wo padhke...sirf kavy rachanahee nahee...aapke lekhbhi..apne any blogski aapko jaakaari detee hun...hamare khayalat milte hain, isliye..
"Kahanee"
"Sansmaran"
"Lalitlekh"
"Aajtak yahantak"
"Baagwaanee"( ye sirf baagwaaneeke baareme maaloomat nahee...zindageeka ek nazariya hai..)
"Dharohar"( Apne deshke bemisaal bunkaron ke baareme jagruti laneka ek chhota-sa yatn)
"Fiber art"( Jahan apnee kalake kuchh chitr diye hain...Bharatme mai akeli fiber artist hun)
"Grihsajja"( Interiors design karti hun..us mutallak kuchh apnehee gharke chitr tatha kuch tips)
"Chindichind"( recyclying ke zariye sundarta aur srujansheelta"
"Kavita"( jo aapne dekha hai...usme "Ek hindustanee kee lalakar, phir ekbaar" zaroor padhen...mujhe khushee hogi aur aapkee shukrguzaar rahungi)
Tippaneeke liye shukraguzaar hun..aapki hausla afzayee aur zarra nawazi hai jo aapne saraha...
aadarsahit
Shama
jindgi ki yahi fitrat hai
samay ka yahi chakra hai
kyoki ana ur jana lga hi rhta hai...
sare janha me bas ak hi sabd gunj rha hai, Chup Chup Chup...
bhut acha mery subh kamnaye...
सच कहा हम घोर अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं.
पर आज
अनिश्चित
है कि
रात
के बाद
कौन सी
सुबह
होगी सुहानी
और कौन सी
सुबह लाएगी
अपने साथ
दुःख, करुणा, व्यथा,
चीख-चित्कार
और
आतंक की आहट
Behad sashakt rachna.Badhai.
कौन सी
सुबह
होगी सुहानी
और कौन सी
सुबह लाएगी
अपने साथ
दुःख, करुणा, व्यथा,
चीख-चित्कार
और
आतंक की आहट
ये तो सच है आज आतंक के इस दौर में कौन सी सुबह क्या रूप लेकर आएगी पता नहीं......!!
... प्रभावशाली अभिव्यक्ति ।
अर्थपूर्ण ब्लाग
बधाई
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