असम की ताज़ा आतंकवादी घटना सरकार और जनता दोनों के लिए दिवाली का तोहफा है, जो आतंकवादियों ने दिया है। वर्तमान में ये आतंकवादी इतने दुस्साहसी हो गये है कि कही भी और कभी भी बम विस्फोट कर जन-धन को हानि पंहुचा रहे है। उन्हें किसी भी बात का खौफ भी नहीं है। इतना ही नहीं ई-मेल और एसएमएस के द्वारा बाकायदा बताते भी है कि हमने किया है पकड़ सको तो पकड़ लो। उन्हें खौफ भी क्यों हो। जब उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि भारत में कुछ भी नहीं होने वाला। सरकार की तरफ़ से मरने वालों के परिवार को मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हादसे की निंदा कर बयान जारी कर देते है। इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष और माननीय केंद्रीय गृहमंत्री घटनास्थल का दौरा कर लेते है इसी बहाने उनका घूमना-फिरना हो जाता है। इसके बाद मामला कुछ दिन तक अख़बारों कि सुर्खियों में रहता है और पहले पेज से सरकते-सरकते अन्दर के पन्ने पर आकार धीरे से गायब हो जाता है। अब जब इतना सुलभ माहौल मिलेगा तो कोई क्यों नहीं दुस्साहसी बनेगा। अभी तक हमारे देश में कोई भी ऐसा कानून प्रभावी नहीं हो पाया, जो आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दे सके। हम अमेरिका और ब्रिटेन से तुलना करते है। जहाँ एक आतंकवादी घटना होने के बाद आजतक कोई भी उसे दोहरा नहीं पाया है। आतंकवाद का दंश हम पिछले लगभग साठ सालों से झेल रहे हैं। इस दंश से कब छुटकारा मिलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
गुरुवार, 6 नवंबर 2008
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5 टिप्पणियां:
यह बहुत ही चिंताजनक विषय है की आज कल त्योहारों पर भारतवासियों को ऐसे तोहफे मिलने लगे हैं...वैसे भी अब भारतीय परम्परा में कुछ ही मुख्य त्यौहार जीवित रह गए हैं...यदि यह आलम रहा तो इन बचे कुचे त्योहारों का भी खात्मा जल्द ही हो जाएगा...
सच कहते हैं आप....६० सालों में भी इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं--न जाने कब आतंकवाद से मुक्ति मिलेगी..ईश्वर ही जाने,,
भाई साहब आपने ठीक ही कहा आतंकी घटनाओं को रोकने में असफलता के लिए सरकार जिम्मेदार है.सरकारों का आतंकियों के प्रति सॉफ्ट कार्नर दिखाई देता है . लेकिन आप इन घटनाओं को तोहफा कहकर पीड़ित लोगो के जख्मो पर नमक न छिडके मुझे पता है,आपका ऐसा उद्देश्य नही रहा होगा किंतु शब्दों के चयन में कृपया सावधानी रखे -आपका शुभेक्षु
अगर जनता में छिद्र हैं तो सरकार ढुलमुल बनेगी। और वह कभी प्रतिबद्ध नहीं हो सकती।
जब धर्म/सम्प्रदाय/वर्ग और राष्ट्रीयता में द्वन्द्व हो तो भगवान ही मालिक है उस राष्ट्र का।
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