कविता के मामले में मेरा दिमाग, हाथ और पेन तीनों ही तंग हाल है। बहुत सोचता हूँ कि कोई कविता लिखूं लेकिन उन शब्दों तक पहुच ही नहीं पाता हूँ कि किसी कविता कि रचना कर सकूँ। पर सच है गुरु में बहुत ताकत होती है। भोपाल जब आया तों क्लास में पिछले साल सर ने ऐसे ही एक कविता लिखवा लिया उसी को प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ।
यादें,
भूलना चाहों
फ़िर भी याद आती है
यादें।
कभी हंसाती
तों फ़िर
कभी रुलाती है
यादें
अतीत में
बिताएं पलों को,
कुछ पल के लिए
वर्तमान
बनती हैं
यादें।
और फ़िर
आंखों को नम
कर जाती हैं
यादें।
6 टिप्पणियां:
यार यादे तो आपका पीछा क्भी नही चोदेइगी मै आप के दिल की बात को समझता हु और अआप्कई साथ मेरी पुरी सहानभूति है आपकी जीवाम मै खुसी के पल इस समय है मै कहता हु की यह हमेसा बरक़रार रही
बहुत बढ़िया तो लिख रहे हो.लिखते रहो!! शुभकामनाऐं.
सुन्दर अभिव्यक्ति
अगर हाथ तंग है तो इतना अच्छा लिख रहे हो और यदि हाथ बैठ गया तो कितना अच्छा लिखोगे ये सोचो.
मेरी शुभकामनायें
सच ही फरमाया आपने!...यादों में बहुत बड़ी शक्ति समाई हुई है!... बहुत उम्दा रचना!
पुष्पेन्द्र पाल सर द्वारा भेजी गयी टिप्पणी
Replace word BHOOT with a new creative and effective word.
Congratulations.Keep it up.
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