ये कोई नया संदेश नहीं है बल्कि महिलाओं के जलने के बारे में लिखे गये संक्षिप्त लेख पर मुझे मिले एक कमेन्ट पर मेरी प्रतिक्रिया है। मुझे मिले एक कमेन्ट में कहा गया कि औरतें ये नाटक करती है, जानबूझ कर अपने ऊपर मिटटी का तेल छिड़ककर ख़ुद को आग लगा लेती है या ऐसा करने कि धमकी देती है। इस बात को मैं कुछ हद तक मानता हूँ, क्योंकि एक ही सिक्के के दो पहलु होते है। साथ ही हर व्यक्ति के व्यक्तित्व के भी अच्छे और बुरे दोनों पक्ष होते है। मुझे लगता है कि किसी व्यक्ति में ये दोनों ही गुण होते है। किसी में अच्छा गुण प्रभावी होता है तों किसी में बुरा गुण। इसी से ही इन्सान के व्यक्तित्व का पता चलता है। मैं मानता हूँ कि महिलाएं कभी-कभी ख़ुद को जलाने की धमकी देके अपने नाजायज बातों को मनवाती है। इसे हथियार के रूप में प्रयोग करती है लेकिन ये हर घर की कहानी नहीं कहा जा सकता है। महिलाओं को ये हथियार हमी-आपने दिया है। ये तों सभी को मालूम है कि दहेज प्रथा हमारे समाज में दशकों पहले से विराजमान है। हमी-आपने पहले दहेज़ के लिए महिलाओं को जलना शुरू किया जिसे अब महिलायों ने अपना हथियार बना लिया है। शायद इसमें महिलायों कीकम और हमारे समाज कि गलती ज्यादा है, जिसमें इस तरह की कुप्रथाएं और बुराईयाँ मौजूद है। मुझे लगता है कि किसी विषय के दोनों पक्षों को जाने बिना किसी नतीजे पर नहीं पहुचना चाहिए। उम्मीद है कि इसे कोई भी व्यक्तिगत रूप से नहीं लेगा। धन्यवाद..
मंगलवार, 8 जुलाई 2008
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