रविवार, 4 मई 2008

विश्व हास्य दिवस

आज विश्व हास्य दिवस है,
पर मैं खुश नहीं हूँ।
आज हँसने- हँसाने का दिन है,
पर मैं खुश नहीं हूँ।
कभी
मैं लोगों को हँसाता था,
उनका मन बहलाता था,
पर आज मैं खुश नहीं हूँ।
आज लोग मुझे हंसातें हैं,
पर मैं खुश नहीं हूँ।
कभी हँसी पूछा करती
कि इतने खुश कैसे रहते हो,
पर आज मैं खुश नहीं हूँ।
ये आज क्या हो गया,
कि मैं खुश नहीं हूँ।
ये कौन सा ग़म है
कि मैं खुश नहीं हूँ।
शायद आज कोई नाराज है,
जो लाता था
कभी
इन लबों तक मुस्कान,
और वो नाराज है,
इसलिए मैं खुश नहीं।

- प्रशांत वर्मा

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