राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों ने इस शांत शहर को दहला दिया है । विस्फोट में करीब साठ लोग मरे गए है। फ़िर वही होता है जो देश में कही भी बम फटने के बाद होता है। बम के धमाकों से सरकार की नींद टूटती है और पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाता है। देश के प्रधानमंत्री और कई आला अधिकारियों का दौरा प्रभावित क्षेत्रों में होता है। हताहतों का हालचाल लेने और मुआवजा देने की घोषणा कर दी जाती है। दो - चार दिन सरकार तमाम तरह के बयानों से जनता का दिल बहलाने की कोशिश करती है। आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्ध होने का दावा करती है । आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने का दावा करती है और मामला शांत होने के साथ ही फ़िर चिर निद्रा में सो जाती है। यह फ़िर तभी उठती है जब फ़िर कभी बम धमाकों की आवाज गूंजती है। इसके बाद फ़िर लोगों को समझाने बुझाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता दिखाई जाती है। सरकार कभी भी इस प्रकार के किसी भी कदम को उठाने से बचती है जिससे ऐसी घटनाओं से समय रहते बचा जा सके । लोग मरे तों मरे इससे सरकार को क्या फर्क पड़ता है वो तों मुआवजा देकर अपना पल्ला हर बार झाड़ लेती है। पोटा जैसे कानून को जो कुछ हद तक आतंकवाद से निपटने में सक्षम था उसे खत्म कर दिया गया। अगर इस तरह के सरकारी रवैये को नहीं छोड़ा गया तों ऐसी घटनाये होती ही रहेंगी।
मंगलवार, 13 मई 2008
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1 टिप्पणी:
mere dost tumne jo likha wo sarahniy hai lekin tumhe un logon ka dard bhi bayan karna chahiye jinki jaane gai unke parivar ka dard jinhone apne apno ko khoya unka dard ..............
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