मंगलवार, 13 मई 2008

चीन में तबाही का तांडव

चीन में कल आई तबाही ने वहां ऐसा तांडव मचाया है कि करीब ९०००-१०००० लोग काल के गाल में समां गए। मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या स्कूली बच्चों की है। म्यांमार में आए नरगिस द्वारा मचाये गए तबाही के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि एशिया में स्थित बढ़ती अर्थव्यवस्था चीन में प्रलयंकारी भूकंप ने जन और धन दोनों को भारी क्षति पहुचाई। प्रकृति का संतुलन अब ग्लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ गया है। प्रकृति अब हमसे नाराज है क्योंकि हमने उसके घर यानि पर्यावरण को तार-तार कर रख दिया है। इसी कारण से जब-तब इतनी तबाही अपना रूप बदल-बदल कर आ रहे हैं। प्रकृति जो कभी हमारे लिए वरदान हुआ करती थी अब अपना गुस्सा कभी भूकंप तों कभी चक्रवात लाकर उतार रही है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से हमारा पर्यावरण असंतुलित हो गया है। हमारे द्वारा फैलाया गया प्रदूषण खासकर गाड़ियों के हानिकारक गैसों ने पृथ्वी को गर्म कर दिया है , जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ गया है। अगर हम प्रदूषण फैलाने कि अपनी आदतों पर नियंत्रण नहीं करेंगे तों हमे इस तरह के परिणामों को भुगतने के लिए तैयार रहने कि जरुरत है।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

जागरुक प्रयासों की आवश्यक्ता है. चीन की घटना बहुत दुखद है.