जी हाँ ! आतंकवादी तों आतंकवादी, अब आए दिन मंत्रियों का नाम भी देश की अखंडता और एकता से खिलवाड़ करने में बढ़-चढ़कर सामने आने लगा है। नेताजी अब ईमानदार नहीं रह गए है। उनकी बेईमानी अब भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं रह गयी है बल्कि वे तों अब देश की अखंडता से भी खेल रहे हैं। हमारे देश के नेताओं के अन्दर अब मर्यादा, शर्म, संवेदना, देशप्रेम और भाईचारा आने से भी शर्मातें हैं।
अब सीधी बात करूँ जो यह है कि त्रिपुरा के खाद्य व आपूर्ति विभाग के मंत्री शाहिद चौधरी पर बांग्लादेश के हरकत-उल-जेहादी-अल-इस्लामी (हूजी) के कार्यकर्ता मामून मियां से सम्पर्क होने का आरोप लगा है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पश्चिम बंगाल पुलिस ने हावड़ा से दो बांग्लादेशियों शमीम अख्तर और आलमगीर को पकड़ा। पूछताछ के बाद आतंकवादी मामून के बारे पता चला और साथ ही यह भी कि ये दोनों ही आतंकी विस्फोटक और उत्तर बंगाल में स्थित सैनिक शिविरों कि जानकारी के साथ पकड़े गए हैं। इसके बाद बंगाल पुलिस २७ मार्च को अगरतला आकार मामून को गिरफ्तार कर ले गयी। इसके बाद उसका और मंत्रीजी का संबंध उजागर हुआ और विपक्ष ने वहाँ की वामपंथी सरकार को घेरा।
उसके बाद वही हुआ जो जगजाहिर है। त्रिपुरा की माणिक सरकार ने मंत्रीजी से इस्तीफा ले लिया। इस घटनाक्रम ने राज्य की वामपंथी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। कई प्रकार से विपक्ष हो-हल्ला कर रहा है कि सरकार मामले कि जांच सीबीआई से कराया जाय वगैरह-वगैरह। माननीय मंत्रीजी ने इस्तीफा देकर अपना पल्ला एक तरह से झाड़ लिया है। उन्हें अभी गिरफ्तार भी नहीं किया गया है। अरे आप लोग आश्चर्य क्यों कर रहे है अरे हमारी पुलिस में अभी इतनी हिम्मत नहीं आई है कि वो किसी बाहुबली को गिरफ्तार कर सके। ये अलग बात है कि अगर मंत्रीजी को गिरफ्तार किया जाता तो शायद कुछ और बातों से परदा उठ सकता था पर पता नहीं वहाँ कि सरकार और पुलिस क्या कर रही है।
गौरतलब है कि यह कोई नई बात नहीं है इस तरह के मामले अक्सर हमारे देश में उजागर होते ही रहते हैं। त्रिपुरा में छः बार वामपंथी सरकार आई और अबतक तीन माकपा मंत्रियों को अपने पड़ से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा है पर इनके इस्तीफे का कारण विदेशी आतंकवादियों से संबंध नहीं थे बल्कि ये कुछ व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा देने को मजबूर हुए। अबतक कई नेताजियों का सम्बन्ध स्थानीय आतंकवादियों से उजागर हो चुके है और कई आतंकी तो सरकार का हिस्सा भी बन चुके है। भारतीय राजनीति में बाहुबलियों का जमावड़ा तों था ही अब आतंकी भी इस जमावड़े का हिस्सा बनने लगे है पर ऐसी स्थिति से बचने के लिए अभी भी सरकार भीरुता का परिचय दे रही है। यह देश की एकता और अखंडता के लिए ठीक नहीं है। मंत्रीजी लोग केवल सत्ता पाना चाहते है चाहे उसकी कीमत देश की एकता और अखंडता को गिरवी रखकर ही क्यों न चुकानी पड़े। वाकई अगर इन स्थितियों से समय रहते नहीं बचा गया तों देश का भगवान ही मालिक है।
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