पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का नारा जय विज्ञान अब वाकई असर दिखाने लगा है, तभी तों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान(इसरो) ने सोमवार को पहली बार एक साथ दस उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर एक नया इतिहास रच दिया। इसके पूर्व रूस ने आठ उपग्रह एक साथ भेजे थे।
इसरो के ध्रुवीय प्रक्षेपण यान 'पीएसएलवी-सी९' ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र(श्रीहरिकोटा) से सुबह उड़ान भरी। यह यान अपने साथ ६९० किलो वजनी भारतीय दूर संवेदी उपग्रह कार्टोसेट-२ऐ और भारतीय मिनी उपग्रह आईएमएस-१ के साथ ही दूसरे देशों के आठ नैनो उपग्रहों को भी लेकर अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
निश्चित रूप से भारतीय विज्ञान भी अब सफलता के नित नए सोपान गढ़ रहा है। भारतीय वैज्ञानिक इसके लिए बधाई पात्र के है जिन्होंने देश को इतनी नई-नई तकनीक दी। जिसकी वजह से हम कई विकसित देशों के समकक्ष खड़े है। हमारे देश के कई वैज्ञानिक आज विदेशों में अच्छी जगहों पर कार्यरत हैं। सुनीता विलियम्स इसका उदाहरण हैं। बस सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए की वो कुछ ऐसे प्रावधान बनाये जिससे देश से लगातार हो रही प्रतिभा पलायन को रोका जा सके।
1 टिप्पणी:
सही कहा आपने. भारत ने अध्यत्म के क्षेत्र मे इतनी उचाई हासिल कर रखी है की शेष विश्व को उसे समझने मे काफी समय लगेगा. अब समय है हम विज्ञान मे भी तरक्की करे. हमारी गरिबी का मुख्य कारण हमारी तकनीकि का पिछडापण है.
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