सोमवार, 28 अप्रैल 2008

श्रीशांत और भज्जी को चांटा लगा

जी हाँ साहेबान इस शुक्रवार मुम्बई इंडियनस और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच मोहाली में हुए मैच बाद हरभजन सिंह ने गेंदबाज श्रीशांत को थप्पड़ मार दिया। आईपीएल किंग्स इलेवन की ओर से खेल रहे श्रीशांत ने पहले इस बात से इंकार किया पर बोर्ड ने इसे सही माना है। इसके बाद भज्जी पर आईपीएल के ग्यारह मैचों में प्रतिबंध लगा दिया तथा और भी कई सारे प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रकार श्रीशांत और भज्जी दोनों को चांटा लगा हाय लगा हाँ लगा।
एक बात यहाँ ध्यान देने की है की भज्जी और श्रीशांत ही हर बार ही विवादों में क्यों फंसतें हैं। उधर अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भी इस तरह के विवादों में फसतें रहे है। आईपीएल के मैचों के शुरू होने के बाद इस बात की संभावना थी की अब खिलाड़ी खेल भावना क साथ विभिन्न देशों के खिलाड़ियों के साथ मेल-जोल के साथ खेलेंगे और किसी भी तरह के नस्लभेदी टिपण्णी से खेल प्रभावित नहीं होगा।
नस्लभेद से तों अभी भी इंकार नहीं किया जा सकता है पर ये अपने ही देश के खिलाड़ी के साथ बवाल करना, इसे क्या कहाँ जाएगा? यह मेरी समझ से बाहर है की आप एक दूसरे खिलाड़ी को मर दे जो केवल किसी दूसरे क्षेत्र के लिए खेल रहा हो। क्या भज्जी इस बात को भूल गए की श्रीशांत कभी उनके साथ भारतीय टीम के लिए कई मैच खेलें हैं। क्या इससे इस बात को बल नहीं मिलता की कहीं न कहीं हममें एकता और आपसी भाईचारे का अभाव है। जब हममें ही इस एकता का अभाव है तों दूसरे जब हम पर नस्लभेदी टिपण्णी करते है तों हम क्यों इतनी हाय-तौबा मचातें हैं। क्या भज्जी के इस थप्पड़ से हमारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी नहीं हो रही है।
बेहतर यह होगा कि हम पहले ख़ुद में आपसी भाईचारे और एकता का विकास करें जिससे विदेशों तक तों ठीक है अपने देश के लोगों के बीच कम से कम अच्छा संदेश जाए।