आस्था के आगे कोई भी तर्क नहीं चलता है। भगवान को किसी ने नहीं देखा है, पर समाज में दोनों तरह के लोग है। एक वो जो भगवान को मानते है और दूसरे वो जो भगवान को नहीं मानते है। दोनों तरह के लोगों के पास अपनी बात को साबित करने के लिए अपने-अपने तर्क भी होते है। अब बात भगवान को मानने वालों की करते है। जैसा की सभी जानते है कि सभी धर्मों में तरह-तरह के ढोंग और पाखंड अपनी जड़े जमाये हुए है। हर व्रत और त्योहार पर कई तरह के कर्मकांडों को करना पड़ता है। धर्म है तों जाहिर सी बात है कि उसमे दुःख भी होंगे। इन्ही दुखों के कारण भक्त भगवान की शरण में जाते है। इन्ही दुखों से निवारण और ईश्वर से संपर्क स्थापित करने के लिए कई तरह के पुजारी या यूँ कहे तों गुरुघंटाल समाज में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए है। ये कथित गुरुघंटाल अपने तों गुप्त रूप से सभी कर्मों को करने में लिप्त रहते है, लेकिन भक्तों से कहते है कि सब मिथ्या है। भगवान की शरण में जाओ, दान करो। धन को ये बाबा मिथ्या कहते है, लेकिन अगर इनके धन-संपत्ति का ठीक से पता किया जाय तों इनकी संपत्ति को देखकर अच्छे-अच्छे करोड़पतियों को भी पसीना आ जाएगा। अब देखिये न गुजरात में ऐसे ही एक बाबा के आश्रम में उनके ही दो शिष्यों की लाश मिलने से देश में बवाल की चिंगारी भड़क उठी है। बाबा तथा उनके आश्रम पर तमाम तरह के आरोप लग रहे है। अब बाबा कह रहे है कि बच्चों की मौत डूबने से हुयी और बच्चों के परिजन और मीडिया दूसरी ही बात कह रहे है। लोगों का आरोप है कि तंत्र साधना के लिए बच्चों को मौत के घाट उतरा गया है। अब बाबा कहाँ चुप बैठने वाले थे। बाबा को गुस्सा आ गया और उनका गुस्सा फूटा मीडिया पर। यहाँ एक बात बाबा को समझना चाहिए कि वो दूसरों को सीख देते है, पर अपने ये क्यों नहीं समझते कि जहाँ चिंगारी होती है वही से धुआं उठता है। यही नहीं जिस बड़े भूभाग पर अहमदाबाद में बाबा का आश्रम चल रहा है, उस जमीन को लेकर भी विवाद है कि बहुत सारी जमीन हड़पी गयी है। खैर जब तक जाँच पूरी नहीं होती बाबा को शान्ति बनाये रखनी चाहिए और जरुरत पड़े तों विदेश के किसी ऐसे स्थान, जहाँ ठण्ड हो वहां जाकर अपने भक्तों को प्रवचन दे आना चाहिए ताकि उनके साथ ही साथ उनके भक्तों को भी शान्ति मिल सके।
शुक्रवार, 18 जुलाई 2008
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1 टिप्पणी:
भक्तों को शांति मिलेगी कि नहीं..क्या पता...मगर इस बीच बाबा को पैसा और शांति जरुर मिल जायेगी अगर आपका सुझाव मान लें. :)
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