आठ हफ्तों बाद महंगाई पर लगाम लगाने सरकार को कुछ कामयाबी मिली हैं, पर इससे आम आदमी को राहत मिलेगी यह कहना मुश्किल है। सरकार की नीतियाँ इतनी ख़राब हो चुकी हैं कि उसमें आम आदमी को जगह ही नहीं मिल पाती हैं। कृषि पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था तों खूब फल - फूल रही है लेकिन एक तरफ़ यह भी सही हैं कि इसी कृषि प्रधान देश में ही खाद्यानों को आयात करने कि जरुरत पड़ रही हैं। यह हमारे लिए ठीक नहीं है। देश को रोटी देने वाला किसान ही सरकार कि प्राथमिकता के हाशिये पर पहुच चुका हैं। किसान अपनी आजीविका बदल रहे हैं और कर्ज के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ६०,००० हजार करोड़ कि कर्ज माफ़ी कम चुनावी घोषणा अधिक लगती है। खैर महंगाई दर थमने से और कोई भले ही खुश न हो पर सरकार को थोड़ा चैन जरुर मिला होगा। मैं तों भगवान से यही कामना करता हूँ कि वे सरकार को थोड़ी सदबुद्धि दे ताकि गरीबों का कुछ भला हो सके।