बाधाओं, रुकावटों की तमाम आशंकाओं को ख़त्म करते हुए दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक ओलंपिक मशाल की यात्रा बिना किसी बाधा के संपन्न हो गई है।
ओलंपिक रिले के मद्देनज़र दिल्ली के राजपथ पर परिंदा पर भी न मार सके। जैसी किलेबंदी और हज़ारों की तादाद में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।
राजपथ के आसपास आम लोगों और किसी भी अपरिचित व्यक्ति के आने-जाने पर पूरी तरह से रोक थी।
ओलंपिक मशाल की भारत यात्रा सफलता पूर्वक संपन्न हो गयी पर क्या तिब्बत में जो कुछ भी हो रहा है वह ठीक हो रहा है। मेरे हिसाब से नहीं क्योंकि चीन का कोई ठिकाना नहीं है। आज वह यह तिब्बत के साथ कर रहा है कल हमारे साथ करेगा। वो पहले से ही कई बार अरुणांचल प्रदेश और सिक्किम पर अपना अधिकार बताता रहा है। भारत ही क्या बल्कि विश्व के अन्य देशों को भी इसका विरोध करना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ। इससे चीनका मनोबल और बढेगा जो की भारत की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। किसी ने ठीक ही कहा हैं जिसकी लाठी उसकी भैस अन्य देशों को छोड़ दे पर भारत को तो इसका विरोध करना चाहिए था क्योंकि तिब्बती धर्मगुरु पिछले कई वर्षों से भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
ओलंपिक रिले के मद्देनज़र दिल्ली के राजपथ पर परिंदा पर भी न मार सके। जैसी किलेबंदी और हज़ारों की तादाद में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।
राजपथ के आसपास आम लोगों और किसी भी अपरिचित व्यक्ति के आने-जाने पर पूरी तरह से रोक थी।
ओलंपिक मशाल की भारत यात्रा सफलता पूर्वक संपन्न हो गयी पर क्या तिब्बत में जो कुछ भी हो रहा है वह ठीक हो रहा है। मेरे हिसाब से नहीं क्योंकि चीन का कोई ठिकाना नहीं है। आज वह यह तिब्बत के साथ कर रहा है कल हमारे साथ करेगा। वो पहले से ही कई बार अरुणांचल प्रदेश और सिक्किम पर अपना अधिकार बताता रहा है। भारत ही क्या बल्कि विश्व के अन्य देशों को भी इसका विरोध करना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ। इससे चीनका मनोबल और बढेगा जो की भारत की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। किसी ने ठीक ही कहा हैं जिसकी लाठी उसकी भैस अन्य देशों को छोड़ दे पर भारत को तो इसका विरोध करना चाहिए था क्योंकि तिब्बती धर्मगुरु पिछले कई वर्षों से भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।